Mohan Bhagwat : दशहरा पर बोले मोहन भागवत- मंदिरों के अधिकार और उसकी संपत्ति सिर्फ हिंदू श्रद्धालुओं को ही मिले

HomeBreaking NewsPolitical

Mohan Bhagwat : दशहरा पर बोले मोहन भागवत- मंदिरों के अधिकार और उसकी संपत्ति सिर्फ हिंदू श्रद्धालुओं को ही मिले

Ganesh Kumar Mule Oct 15, 2021 1:22 PM

Bharat Band News | २१ ऑगस्ट रोजी भारत बंद मधून व्यक्त होणार आक्रोश – पुण्यातील आंबेडकर विचाराच्या संघटनांचा पाठिंबा
CM Eknath Shinde | राज्यातील धार्मिक स्थळांच्या, शहरालगतच्या ग्रामीण भागाच्या स्वच्छतेसाठी कायमस्वरुपी योजना राबवणार | मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे
Pune MHADA Lottery | म्हाडातर्फे ५ हजार ८६३ सदनिकांसाठी ऑनलाइन अर्ज नोंदणीला सुरूवात | २६ सप्टेंबरपर्यंत अर्ज नोंदणी करता येणार

दशहरा पर बोले मोहन भागवत-

मंदिरों के अधिकार और उसकी संपत्ति सिर्फ हिंदू श्रद्धालुओं को ही मिले

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सर संघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने देश में कुछ मंदिरों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि ऐसी संस्थाओं के संचालन के अधिकार हिंदुओं को सौंपे जाने चाहिए और इनकी संपत्ति का उपयोग केवल हिंदू समुदाय के कल्याणार्थ किया जाना चाहिए।

यहां रेशम बाग़ में वार्षिक विजयदशमी उत्सव में उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के मंदिरों पर पूरी तरह राज्य सरकार का नियंत्रण है जबकि देश में कुछ हिस्सों में मंदिरों का प्रबंधन सरकार व कुछ अन्य का श्रद्धालुओं के हाथ में है। उन्होंने सरकार द्वारा संचालित माता वैष्णो देवी मंदिर जैसे मंदिरों का उदाहरण देते हुए कहा कि इसे बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में स्थित गजानन महाराज मंदिर, दिल्ली में झंडेवाला मंदिर, जो भक्तों द्वारा संचालित हैं, को भी बहुत कुशलता से चलाया जा रहा है।

भागवत ने कहा, “लेकिन उन मंदिरों में लूट है जहां उनका संचालन प्रभावी ढंग से नहीं हो रहा है।” जहां ऐसी चीजें ठीक से काम नहीं कर रही हैं, वहां एक लूट मची हुई है। कुछ मंदिरों में शासन की कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिरों की चल और अचल संपत्तियों के दुरुपयोग के उदाहरण सामने आए हैं।”

भागवत ने कहा, “हिंदू मंदिरों की संपत्ति का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जाता है – जिनकी हिंदू भगवानों में कोई आस्था नहीं है। हिंदुओं को भी इसकी जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जाता है।” उन्होंने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन को लेकर उच्चतम न्यायालय के कुछ आदेश हैं। साथ ही कहा, “शीर्ष अदालत ने कहा कि ईश्वर के अलावा कोई भी मंदिर का स्वामी नहीं हो सकता। पुजारी केवल प्रबंधक है। इसने यह भी कहा कि सरकार प्रबंधन उद्देश्यों से इसका नियंत्रण ले सकती है लेकिन कुछ समय के लिए। लेकिन उसे स्वामित्व लौटाना होगा। इसलिए इस पर उचित ढंग से निर्णय लिया जाना चाहिए।”

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “और इस संबंध में भी फैसला लिया जाना चाहिए कि हिंदू समाज इन मंदिरों की देख-रेख कैसे करेगा।” आरएसएस द्वारा साझा किए गए लिखित भाषण में, भागवत ने कहा कि जाति और पंथ के बावजूद सभी भक्तों के लिए मंदिर में भगवान के दर्शन, उनकी पूजा के लिए गैर-भेदभावपूर्ण पहुंच और अवसर भी हर जगह अमल में नहीं लाए जाते, लेकिन इन्हें (गैर भेदभाव पूर्ण पहुंच और अवसर) सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

भागवत ने कहा कि यह सभी के लिए स्पष्ट है कि मंदिरों की धार्मिक आचार संहिता के संबंध में कई निर्णय विद्वानों और आध्यात्मिक शिक्षकों के परामर्श के बिना ‘‘मनमौजी ढंग से” किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की ताकत के आधार पर मंदिरों के उचित प्रबंधन और संचालन को सुनिश्चित करते हुए एक बार फिर मंदिरों को हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का केंद्र बनाने के लिए एक योजना तैयार करनी भी आवश्यक है।

COMMENTS

WORDPRESS: 0
DISQUS: 0